प्राचीन कविताये / डेकॅथलॉन -अनकॅटेगरीकल /मंत्र विभाग/ श्रीधर तिळवे -नाईक 
शिव  १ /श्रीधर तिळवे 
यदि तेरे बारेमे मनमे संशय
तुही आरम्भ मध्य विलय
तेरे चरण नही हैं दिखते
चालमे फिरभी हैं दस्तखत करते
तेरी मूर्तियां मेरे आसपास
जानता हूँ है सिर्फ टाइमपास
नंदीबैलका कर ले नंदी
मेन्दुमे चला हल विखंडी
वर्ना हैही सूखी कविता
तू जागृत और मैं जीता
श्रीधर तिळवे -नाईक
 
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